ईडब्ल्यूएस कोटा मामला: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) UU ललित की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 103 वें संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है। बेंच के फैसले के मुताबिक सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण मिलता रहेगा. बेंच में शामिल पांच जजों में से तीन जज ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण देने के पक्ष में पेश हुए.
सुप्रीम कोर्ट के पांच में से तीन न्यायाधीश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा बरकरार रखने के पक्ष में हैं और उन्होंने कहा है कि यह कानून का उल्लंघन नहीं करता है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ 103 वें संवैधानिक संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करती है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा, जो सामान्य वर्ग के बीच 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करता है।
चार न्यायाधीश अधिनियम को बरकरार रखते हैं जबकि एक न्यायाधीश असहमतिपूर्ण निर्णय देता है। pic.twitter.com/nnd2yrXm0P
– एएनआई (@ANI) 7 नवंबर 2022
शीर्ष अदालत ने कानूनी सवाल पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है कि क्या ईडब्ल्यूएस कोटा संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने 40 याचिकाओं और 2019 में ‘जनहित अभियान’ द्वारा दायर की गई मुख्य याचिका सहित अधिकांश याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें संविधान संशोधन (103 वां) अधिनियम 2019 की वैधता को चुनौती दी गई थी।
जनवरी 2019 में पारित हुआ था बिल
विधेयक को जनवरी 2019 में निचले और उच्च सदनों दोनों द्वारा पारित किया गया था और तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने हस्ताक्षर किए थे। ईडब्ल्यूएस कोटा एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अधिक है।
बता दें कि 7 नवंबर सीजेआई यूयू ललित का आखिरी वर्किंग डे भी है क्योंकि वह 8 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं.