Sunday, May 28, 2023
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ओबीसी आरक्षण मामले में लगी आग, अब विधायक मुकेश भाकर ने दी ये चेतावनी


ओबीसी आरक्षण समाचार: राजस्थान में लंबे समय से ओबीसी आरक्षण विसंगति का मुद्दा फिर जोर पकड़ने लगा है। सरकार के पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने जहां मोर्चा खोल दिया है, वहीं अब सचिन पायलट के खास विधायक माने जाने वाले मुकेश भाकर ने भी सरकार को घेर लिया है.

उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा कि, ”पिछले दिनों शहीद स्मारक पर ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को लेकर धरना प्रदर्शन और उसके बाद सरकार के वादे के मुताबिक आज तक सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया. जिससे ओबीसी वर्ग के युवाओं में सरकार का विरोध हो रहा है.

उन्होंने आगे कहा, “मुख्यमंत्री जी आप ओबीसी वर्ग के युवाओं के सामने आएं और अपनी तरफ से एक बात स्पष्ट कर दें कि आप किसी के दबाव में ओबीसी वर्ग के युवाओं की आवाज दबा रहे हैं या अपने ही ओबीसी आरक्षण की विसंगति को दूर कर रहे हैं. करने की कोई इच्छा नहीं है।”

साथ ही मौजूदा कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ”अगर सरकार ओबीसी वर्ग के हित में त्वरित फैसला नहीं लेती है तो आने वाले समय में इसके लिए मुख्यमंत्री खुद जिम्मेदार होंगे. राज्य में सरकार और पार्टी के खिलाफ माहौल बनेगा।मेरे लिए राज्य के युवाओं को उनका हक दिलाना पद से पहले प्राथमिकता है।

आपको बता दें कि कल बैतू से विधायक हरीश चौधरी ने ट्वीट कर लिखा था कि, ‘कल कैबिनेट बैठक में ओबीसी आरक्षण विसंगति का मुद्दा रखने के बावजूद एक खास विचारधारा द्वारा इसका विरोध चौंकाने वाला है. चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, मैं स्तब्ध हूं, आखिर आप क्या चाहते हैं? मैं ओबीसी वर्ग को विश्वास दिलाता हूं कि इस मामले में जो भी लड़ाई लड़नी होगी मैं लड़ूंगा.

इसलिए माना जा रहा है कि हरीश चौधरी, दिव्या मदेरणा मुकेश भाकर के बयान के बाद अब ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण के मुद्दे पर अलग-अलग मूड में हैं.

यह है पूरा मामला

ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति के अनुसार राजस्थान में ओबीसी वर्ग को 21 प्रतिशत आरक्षण मिला है, लेकिन वर्ष 2018 में सरकार के कार्मिक विभाग ने ओबीसी की भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों का कोटा निर्धारित किया है, जिससे भूतपूर्व सैनिक इस कोटे का फायदा उठा रहे हैं। वहीं ओबीसी वर्ग के अन्य उम्मीदवारों को मौका नहीं मिल रहा है.

ये है ओबीसी आरक्षण की मांग

संघर्ष समिति की मांग है कि भर्ती को लेकर विभाग द्वारा बनाए गए उपनियमों को वापस लिया जाए और पूर्व सैनिकों का कोटा अलग से तय किया जाए, जो ओबीसी वर्ग के 21 फीसदी आरक्षण से अलग है.

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