हैदराबाद: मीट और इससे बने उत्पादों में हलाल सर्टिफिकेशन का चलन अचानक से बढ़ गया है। निर्यातक इसके लिए नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट (एनआरसीएम) की मदद ले रहे हैं। एनआरसीएम ने मांस के नमूनों का किया डीएनए परीक्षण यह पता लगाया जाता है कि मांस इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार है या नहीं, उसमें सुअर का मांस मिला है या नहीं।
इन देशों के लिए सत्यापन आवश्यक है
हलाल सत्यापन अक्सर इस्लामी संगठनों द्वारा किया जाता है। सत्यापन एक तरह की गारंटी है कि मांस या उसके उत्पादों में कोई मिलावट नहीं की गई है। मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों के लिए निर्यातकों को हलाल सत्यापन की आवश्यकता होती है।
वैज्ञानिक बोले- हमारी रिपोर्ट पूरी दुनिया में मान्य
हैदराबाद में एनआरसीएम के वैज्ञानिक विष्णुराज एमआर ने कहा, ‘उनकी लैब एनएबीएल (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज) है जो हलाल वेरिफिकेशन के लिए मान्यता प्राप्त है। प्रयोगशाला किसी भी उत्पाद में सूअर के मांस की उपस्थिति या अनुपस्थिति का पता लगा सकती है। हमारी रिपोर्ट पूरी दुनिया में स्वीकार की जाती है। निर्यातक अक्सर अपने उत्पादों की गुणवत्ता का वर्णन करने के लिए रिपोर्ट का उपयोग करते हैं।
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